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जुदा होता जा रहा था मैं

मोहब्बत के घरोंदे सजा रहा था मैं
फूलों को खिलना सीखा रहा था मैं
तुम से जुदा होता जा रहा था मैं ..

कसर न रखी , रिश्ते को कायम रखने की ,
सब गवारा कर गए , जो वक़्त ने हम पे की ,
क्या है कमी ये भी जता रहा थे मैं …

तुम से जुदा होता जा रहा था मैं ..

दिल गुब्बार था , ख़्वाबों से भरा रहा ,
मेरे हाथ से तुम्हारा हाथ हमेशा ज़रा दूर रहा ,
तुम न आये , हार कर ये सपने गैर को सुना रहा था मैं ,

तुम से जुदा होता जा रहा था मैं ..

मोहब्बत के घरोंदे सजा रहा था मैं
फूलों को खिलना सीखा रहा था मैं
तुम से जुदा होता जा रहा था मैं ..